हाथरस सत्संग हादसा- चारों तरफ चीख पुकार, बिखरे जूते-चप्पल, लाशों की भीड़ में अपनों को तलाशते लोग

हाथरस: मंगलवार का दिन था। दोपहर के 12:30 बज रहे थे। नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा फलरई में सत्संग में पहुंचे। दोपहर 12:55 बजे भोले बाबा ने अयोजन स्थल पर सत्संग में प्रवचन देना शुरू किया। दोपहर 1:30 बजे कार्यक्रम स्थल पर हलचल तेज हो गई। लोग बाब

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हाथरस: मंगलवार का दिन था। दोपहर के 12:30 बज रहे थे। नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा फलरई में सत्संग में पहुंचे। दोपहर 12:55 बजे भोले बाबा ने अयोजन स्थल पर सत्संग में प्रवचन देना शुरू किया। दोपहर 1:30 बजे कार्यक्रम स्थल पर हलचल तेज हो गई। लोग बाबा के पास पहुंचना चाह रहे थे। वॉलंटियर्स ने रोका तो बवाल शुरू हो गया। दोपहर 1:45 बजे सत्संग समाप्त हो गया। इसके बाद बाबा कार्यक्रम स्थल से रवाना हुए। कार्यक्रम में आए बाबा के भक्त उनके चरण को छूना चाह रहे थे। चरण रज लेने की कोशिश कर रहे थे। दोपहर 1:55 बजे भोले बाबा के जाने के बाद श्रद्धालुओं में अचानक भगदड़ मच गई। लोग खेतों में होकर एक-दूसरे को रौंदते हुए भाग रहे थे। अचानक मची भगदड़ में कोई कुछ भी समझ नहीं पाया था। दोपहर 2:25 बजे पुलिस को सत्संग के दौरान हुए हादसे की सूचना दी गई। इसके बाद जानकारी आग की तरह फैल गई। आसपास के लोग घटनास्थल पर पहुंचे। सड़क के किनारे गड्‌ढ़े में गिरे लोगों को निकलने में जुटे राहुल ने कहा कि महिलाओं-बच्चों के मुंह-नाक में कीचड़ भर गया था। सांसें थम गई। हाथों से उनकी छाती और पीठ को खूब दबाने के बाद भी कोई हलचल नहीं दिखी। सीपीआर के बाद भी जान वापस नहीं आई। बचाने आए लोग भी इस प्रकार की स्थिति देख चीत्कार उठे।

चारों तरफ बस चीख-पुकार

सिकंदरामऊ में मंगलवारन को चल रहे सत्संग में कथा समाप्त होने के बाद भीड़ रोकने पर हालात बेकाबू हो गई। भीषण गर्मी और उमस से परेशान श्रद्धालु कथावाचक के निकलने के बाद मारामारी कर रहे थे। बाबा को निकालने के लिए वॉलंटियर्स ने भीड़ को रोका था। भीड़ थमने को तैयार नहीं थी। हालांकि, लोग एक दूसरे पर कूदते हुए बाहर भागने लगे। महिलाएं, बच्चे और पुरुष गिर गए, जिसे भीड़ ने कुचल दिया। चारों तरफ चीख-पुकार मच गई। भगदड़ ऐसी कि घटनास्थल पर जूते-चप्पलों का ढेर लग गया। हर तरफ लोग मुंह के बल गिरे पड़े दिखे। पुलिस ने वहां पहुंचते ही लाशों को उठाना शुरू किया। घायलों को आनन-फानन में स्थानीय अस्पतालों में भेजा गया।

15 मिनट में चारों तरफ मौत

हाथरस के सिकंदरामऊ में फूलरई मुगलगढ़ी स्थित एटा हाईवे के किनारे नारायण साकार हरि का सत्संग चल रहा था। कार्यक्रम में लाखों की तादाद में लोग पहुंचे थे। मंगलवार की दोपहर करीब 1:30 बजे कथा समाप्त हुई। इसके बाद कथावाचक निकलने लगे। इस पर वॉलिंटियरों में भीड़ को रोक दिया। बाबा के जाने में करीब 10 से 15 मिनट लग गए। पंडाल में भीषण गमीर्ह और उमस से बेहाल श्रद्धालु बाहर निकालने के लिए मारामारी करने लगे। इस दौरान वालंटियर भीड़ को संभाल नहीं पाए। लोग लगातार बाहर निकलने की कोशिश करते रहे। इस दौरा श्रद्धालु एक-दूसरे एक-दूसरे के ऊपर कूदते हुए भागने लगे। देखते ही देखते सत्संग स्थल पर भागदड़ मच गई। भगदड़ मचते ही लोग गिरने लगे। भीड़ में जो गिर गए, वह उठ हीनहीं पाए। 10 से 15 मिनट के बीच सत्संग स्थल पर मौत का मंजर दिखाई देने लगा। सत्संग स्थल पर चीख पुकार मच गई। महिलाएं, बच्चे और पुरुष भागदड़ की चपेट में आ गए, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।

उमस से बेहोश हो गए श्रद्धालु

सिकंदरामऊ में सत्संग में हुए हादसे से कोहराम मच गया। किसी को उम्मीद नहीं थी कि इतना बड़ा हादसा हो जाएगा। भगदड़ में जान गंवाने के साथ अधिकांश लोगों की उमस के कारण बेहोश हो गए। बेहोश होने के कारण लोगों की जान चली गई। पंडाल में लाखों की भीड़ और उमस भरी गर्मी में श्रद्धालु कार्यक्रम शुरू होने के बाद से ही परेशान थे। आयोजनों का ध्यान इस तरफ नहीं गया था।

अपनों के सामने ही गई जान

सत्संग स्थल पर लोगों की अपनों के सामने ही मौत हो गई। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद भगदड़ लोगों ने अपनी जान गंवाई। भगदड़ मची तो हर किसी को अपने जान की फिक्र थी। हर कोई हाइवे तक पहुंचने की होड़ में था। इस दौरान नीचे गिरते लोगों की किसी को फिक्र नहीं थी। कोई गड्‌ढ़े में गिरा, कोई जमीन पर। जो नीचे गिरे, वे सैंकड़ों पैरों से कुचल दिए गए। लोगों की चीखें भागती भीड़ और बदहवाश लोगों के कानों तक कहां पहुंच रही थी। हादसा इस कदर भयावह था कि लाशों के ढेर देख लोगों का कलेजा फट गया।

मदद पहुंचने में हुई देरी

सत्संग स्थल पर भागते लोगों ने नीचे गिरे लोगों की सुध नहीं ली। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि मौके पर मदद पहुंचने में भी देरी हो गई। दिल्ली-कानपुर हाईवे के किनारे चल रहे सत्संग में हुए हादसे के शिकार लोग घंटे भर से अधिक तक मदद की आस में तड़पते रहे। लोगों के पैरों तले कुचले गए लोग प्यास से व्याकुल जमीन पर बेहोश पड़े थे। उन्हें कोई एक बूंद पानी पिलाने वाला नहीं था। साथ आए लोग अपनी जान बचाकर भागते नजर आए। वहीं, बाबा के वॉलंटियर्स भगदड़ शुरू होते ही कार्यक्रम स्थल से गायब हो गए। मृतकों में से आधे से अधिक मदद और समय से उपचार नहीं मिलने के कारण दम तोड़ दिया।

घटनास्थल पर एंबुलेंस और सरकारी मदद पहुंचाने में घंटे से अधिक का समय लग गया। कार्यक्रम में गए हुए लोगों के परिजन भी चिंतित दिखे। घबराए लोग जिला अस्पताल पहुंचे अस्पताल पहुंच गए। वहां अपनों को न पाकर उनकी चिंता बढ़ गई। अस्पताल पहुंची सोखना निवासी सोन देवी ने रोते हुए कहा कि हमारी मां सत्संग में गई थी। उसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही। वहीं, मोहल्ला विष्णुपुरी निवासी कृष्ण कुमार ने कहा कि उनकी पत्नी की तबीयत खराब थी। मना करने के बाद भी सत्संग में चली गई। इसके बाद क्या हुआ? इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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